The smart Trick of Shodashi That Nobody is Discussing

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The mantra seeks the blessings of Tripura Sundari to manifest and fulfill all wished-for outcomes and aspirations. It is thought to invoke the merged energies of Mahalakshmi, Lakshmi, and Kali, with the final word intention of attaining abundance, prosperity, and fulfillment in all components of existence.

Many fantastic beings have worshipped areas of Shodashi. The good sage, Sri Ramakrishna, worshiped Kali throughout his total lifetime, and at its fruits, he compensated homage to Shodashi by way of his very own spouse, Sri Sarada Devi. This illustrates his greatness in observing the divine in all beings, and especially his life spouse.

A singular feature in the temple is souls from any faith can and do give puja to Sri Maa. Uniquely, the temple administration comprises a board of devotees from numerous religions and cultures.

Saadi mantras are more accessible, useful for normal worship and also to invoke the presence with the deity in everyday life.

साशङ्कं साश्रुपातं सविनयकरुणं याचिता कामपत्न्या ।

ऐसा अधिकतर पाया गया है, ज्ञान और लक्ष्मी का मेल नहीं होता है। व्यक्ति ज्ञान प्राप्त कर लेता है, तो वह लक्ष्मी की पूर्ण कृपा प्राप्त नहीं कर सकता है और जहां लक्ष्मी का विशेष आवागमन रहता है, वहां व्यक्ति पूर्ण ज्ञान से वंचित रहता है। लेकिन त्रिपुर सुन्दरी की साधना जोकि श्री विद्या की भी साधना कही जाती है, इसके बारे में लिखा गया है कि जो व्यक्ति पूर्ण एकाग्रचित्त होकर यह साधना सम्पन्न कर लेता है उसे शारीरिक रोग, मानसिक रोग और कहीं पर भी भय नहीं प्राप्त होता है। वह दरिद्रता के अथवा मृत्यु के वश में नहीं जाता है। वह व्यक्ति जीवन में पूर्ण रूप से धन, यश, आयु, भोग और मोक्ष को प्राप्त करता है।

षोडशी महात्रिपुर सुन्दरी का जो स्वरूप है, वह अत्यन्त ही गूढ़मय है। जिस महामुद्रा में भगवान शिव की नाभि से निकले कमल दल पर विराजमान हैं, वे मुद्राएं उनकी कलाओं को प्रदर्शित करती हैं और जिससे उनके कार्यों की और उनकी अपने भक्तों के प्रति जो भावना है, उसका सूक्ष्म विवेचन स्पष्ट होता है।

वृत्तत्रयं च धरणी सदनत्रयं च श्री चक्रमेत दुदितं पर देवताया: ।।

In the pursuit of spiritual enlightenment, the journey starts with the awakening of spiritual consciousness. This initial awakening is vital for aspirants that are for the onset of their path, guiding them to acknowledge the divine consciousness that permeates all beings.

नाना-मन्त्र-रहस्य-विद्भिरखिलैरन्वासितं योगिभिः

The noose signifies attachment, the goad represents repulsion, the sugarcane bow signifies the mind plus the arrows are the 5 sense objects.

The reverence for Tripura Sundari transcends mere adoration, embodying the collective aspirations for spiritual progress plus the attainment of worldly pleasures and comforts.

इसके अलावा त्रिपुरसुंदरी देवी अपने नाना रूपों में भारत के विभिन्न प्रान्तों में पूजी जाती हैं। वाराणसी में राज-राजेश्वरी मंदिर विद्यमान हैं, जहाँ देवी राज राजेश्वरी(तीनों लोकों की रानी) के रूप में पूजी Shodashi जाती हैं। कामाक्षी स्वरूप में देवी तमिलनाडु के कांचीपुरम में पूजी जाती हैं। मीनाक्षी स्वरूप में देवी का विशाल भव्य मंदिर तमिलनाडु के मदुरै में हैं। बंगाल के हुगली जिले में बाँसबेरिया नामक स्थान में देवी हंशेश्वरी षोडशी (षोडशी महाविद्या) नाम से पूजित हैं।

साम्राज्ञी सा मदीया मदगजगमना दीर्घमायुस्तनोतु ॥४॥

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